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Saturday, 3 October 2020

October 03, 2020

Brain of Albert Einstein | Albert Einstein Ka Dimag Kyu Alag Tha? Where is Albert Einstien Brain Now

Brain of Albert Einstein | Albert Einstein Ka Dimag Kyu Alag Tha? Where is Albert Einstien Brain Now


Brain of Albert Einstein | Albert Einstien Ka Dimag Kyu Alag Tha?
Where is Albert Einstien Brain Now

In this video we have talked about the brain of Albert Einstien. Albert Einstien was a genius. He invented theory of relativity and tells us about time. Both the topics were very interesting. He also gave us the formula E=m(c)square where m, is the mass and c, is the speed of light. His theories helps us to invent new things and help us to know new world.

But we always think that why he was special? What was different in his brain so he was able to found many things. In this video we have discussed that reason.




Saturday, 15 August 2020

August 15, 2020

Lucifer Story in Hindi And English Both

 


कई लोगों का मानना है कि इस दुनिया में अगर भगवान है 

तो शैतान भी है। अच्छाई का प्रतीक हम भगवान को मानते हैं। और वही बुराई के लिए शैतान को जाना जाता है। बाइबिल में अच्छाई के देवता को गॉड कहा जाता है

और वही बुराई के देवता को लुसिफर के नाम से जाना जाता है।

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जिसे हम मॉर्निंग स्टार या फिर फॉलिंग एंजेल भी कहते हैं।

वैसे लुसिफर को स्वर्ग के लिए बनाया गया था उसे स्वर्ग का सबसे सुंदर और बुद्धिमान एंजेल भी माना जाता था। लेकिन ऐसा क्या हुआ? कि इस एंजेल को एक डेविल के नाम से जाना जाता है और वह कैसे एक ऐंजल से नर्क का राजा बनता है।


ऐसा माना जाता है कि लुसिफर स्वर्ग का सबसे सुंदर ऐंजल होने के साथ बहुत बुद्धिमान भी था।जिसके चलते स्वर्ग में सब उसे ही अपना मानने लगे थे। लुसिफर को इस बात का घमंड होने लगा था। लुसिफर को ईश्वर का सबसे चाहिता ऐंजल माना जाता था ।


लुसिफर के पंख बहुत ही सुनहरे थे। वह स्वर्ग में हमेशा सोने की माला पहनकर और नायाब  पत्थर पहन कर स्वर्ग में विराजमान रहता था। लुसिफर बातें बनाने में माहिर था और लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने में भी माहिर था । स्वर्ग के सारे ऐंजल लुसिफर से और उसकी बातों से प्रभावित थे।


लुसिफर को ईडन गार्डन में रखा गया था। जिसमें एडम का बगीचा भी था। यह गार्डन ईश्वर द्वारा बनाया गया था ।

लुसिफर खुद को यसु मसीह से भी अच्छा मानता था और खुद को ईश्वर के बराबर मानता था 


जब लुसिफर को ईश्वर और जीसस के बीच मीटिंग में नहीं बुलाया गया तो वह आग बबूला हो उठा और ईश्वर से बगावत करने लगा।

 

इस बगावत में स्वर्ग के बहुत सारे एंजेल ने उसका साथ दिया था ऐसे में ईश्वर ने लुसिफर और उसका साथ देने वालों को स्वर्ग से बाहर निकाल दिया था। और यही कारण है कि लुसिफर को फॉलिंग एंजेल कहा जाता है।


स्वर्ग से निकलते ही ईश्वर ने उसकी खूबी और सुंदरता को छीन लिया और उसे इतना बदसूरत बना दिया कि वह खुद से नफरत करने लग गया स्वर्ग से निकालने के बाद लुसिफर आत्माओं की दुनिया में गया ।


जिसे हम हैल या फिर नर्क के नाम से भी जानते हैं। वहां जाने के बाद लोग लुसिफर को शैतान के नाम से जानने लगे और उसके साथ के ऐंजल जो लुसिफर को फॉलो करते थे और उसे अपना देवता माना करते थे 


इलुमिनाटी समुदाय


वह अब राक्षस में तब्दील हो चुके थे। लुसिफर अपने राक्षस के साथ नर्क में राज करने लगा था। वह पूरी तरह से ईश्वर के खिलाफ हो गया और वह नर्क का राजा बन गया। माना जाता है कि इस दुनिया में आज भी ऐसे लोग हैं।जो लुसिफर यानी की डेविल की पूजा करते हैं और यह ग्रुप इलुमिनाटी के नाम से जाने जाते हैं ।


कहा जाता है कि यह ग्रुप पूरी तरह से लुसिफर को मानते हैं और यह भी लुसिफर की तरह ईश्वर से नफरत करते हैं।

एक एंजेल होने की वजह से लुसिफर के पास बहुत सी शक्तियां थी। लुसिफर इममॉर्टल यानी कि कभी ना मरने वाला शैतान है। उसके पास एंजल की तरह सुनहरे पंख है

 जिससे बहुत तेजी से उड़ सकता है।

 

लुसिफर के पास वह सारी शैतानी शक्तियाँ है जो एक नर्क के राजा के पास होनी चाहिए। लुसिफर लोगों को बहलाना और उनके विचार को बदलने में माहिर है और इसकी मदद से वह लोगों से अपनी मर्जी के काम करवाता है।


ऐसा माना जाता है कि इतिहास में जितने भी बुरे लोग पैदा हुए हैं। वह किसी न किसी तरीके से लुसिफर के ही शिकंजे में थे लुसिफर के पास अपने काम करवाने के लिए उसके राक्षस है। इंसानों को ईश्वर ने बनाया है।लुसिफर को स्वर्ग से निकालने के बाद ही ईश्वर में इंसानों को बनाया और तब से लुसिफर इंसानों को परेशान करने में लगा हुआ हैऔर लुसिफर ने ही ईव को अपने जाल में फंसा कर सेब खिलाया था।


जिसके बाद से इंसानों का जीवन पूरी तरह से बदल गया

 लुसिफर इंसानों को काबू करना चाहता है ताकि वह ईश्वर से बदला ले सके।


Many believe that if there is God in this world

So is the devil. We believe in God as a symbol of good. And the same evil is known to Satan. In the Bible the god of good is called God and the same god of evil is known as Lucifer. Lucifer in the bible.

 

Which we also called Morning Star or Falling Angel. Although Lucifer was created for heaven, he was also considered the most beautiful and intelligent angel of heaven. But what happened? That this Angel is known as a Devil and how he becomes King of Hell with an Angel. Who is The Fallen Angel in The Bible?


It is believed that Lucifer, being the most beautiful angel of heaven, was also very intelligent, due to which everyone in heaven started accepting him as their own. Lucifer was beginning to be proud of this. Lucifer was considered the most loved angel of God.


Lucifer's wings were very bright. He always lived in heaven, wearing a gold garland and wearing a unique stone in heaven. Lucifer was adept at making things and was also adept at attracting people to himself. All the angels of heaven were influenced by Lucifer and his words. Lucifer in the bible.


Lucifer was placed in the Garden of Eden. Which also had Adam's garden. This garden was built by God. Lucifer considered himself superior to Jesus Christ and considered himself equal to God. Who is The Fallen Angel in The Bible?


When Lucifer was not called to a meeting between God and Jesus, he was furious and began to rebel against God.

 

In this rebellion many of the angels of heaven had supported him, in such a way, God drove Lucifer and those who supported him out of heaven. And that's why Lucifer is known as the Falling Angel. Lucifer in the bible.

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As soon as he came out of heaven, God stripped him of his beauty and made him so ugly that he began to hate himself. After being removed from heaven, Lucifer went to the world of spirits. Which is also know as Hell. Who is The Fallen Angel in The Bible?


After that he was known as devil and his follower angel is known as demons. After that Lucifer was beginning to rule in hell with his demons. He turned completely against God and became the King of Hell. Who is The Fallen Angel in The Bible?


It is believed that even today there are people in this world who worship Lucifer and these groups are known as Illuminati. Lucifer in the bible.


These groups are completely believe in Lucifer and also hate God like Lucifer.

Being an Angel, Lucifer had a lots of power. Lucifer is Immortal the never-ending devil. He has amazing wings like an angel

 By Which he can fly very fast. Who is The Fallen Angel in The Bible?

 

Lucifer has all the evil powers that a king of hell should have. Lucifer is adept at entertaining people and changing their thoughts, and with the help of this, he gets people to do what they want. Lucifer in the bible.


It is believed that all the bad people have been born in history, were in the influence of Lucifer. Who is The Fallen Angel in The Bible?

August 15, 2020

How Was Earth Made & How Life Started on Earth, Evolution of Life in Hindi

मनुष्य को खुद को विकास करने में अरबों साल का सफर तय करना पड़ा।

इन अरबो सालों के दौरान धरती पर कई सारे जीव विलुप्त हुए 

और कई सारे जीव आए ।

लेकिन यह सब आए कहां से? 

और इस धरती पर जीवन आया कहां से? 

इस सवाल का जवाब पाने के लिए हमें समय में अरबों साल पीछे जाना 

होगा तब जब यह पृथ्वी अपने शुरुआती दौर पर थी 

और यहां पर जीवन की उत्पत्ति शुरू हो रही थी।

आज से करीब साढे चार अरब साल पहले 

अंतरिक्ष में कई गैसों के मिश्रण से एक बहुत ही जोरदार धमाका हुआ।

इस धमाके से एक बहुत ही बड़ा आग का गोला बना

 जिसे हम सूर्य के नाम से जानते हैं ।

इस धमाके के कारण इसके चारों ओर धूल के कण फैल गए ।

गुरुत्वाकर्षण की शक्ति के कारण 

यह धूल के कण छोटे छोटे पत्थर के टुकड़ों में बदल गए ।

 धीरे-धीरे यह टुकडे भी 
 
गुरुत्वाकर्षण की शक्ती के कारण आपस में टकरा कर एक दूसरे के साथ जुड़ने लगे ।
 
कई सालों तक यह प्रक्रिया चलती रही 

और जिसने एक ग्रह का रूप ले लिया 

जहां आज हम सब रहते हैं ।

लेकिन यहां अभी जीवन का कोई नामोनिशान नहीं था।

 चट्टानों के आपस में टकराने के कारण 
 
धरती एक आग के गोले के रूप में तैयार हो रही थी ।
 
इस समय धरती का तापमान 1200 डिग्री सेल्सियस था। 

उसी समय एक नया ग्रह 

जिसका नाम थिया, धरती की तरफ बढ़ रहा था ।

इसकी गति 40 किलोमीटर प्रति सेकंड थी ।

जब यह धरती की सतह से टकराया 

तो एक बहुत बड़ा धमाका हुआ 

जिससे कई ट्रिलियन कचरा धरती से बाहर निकल गया

 और वह गृह धरती से बाहर निकल गया 
 
और वह ग्रह धरती में विलीन हो गया ।

कई हजार साल तक गुरुत्वाकर्षण अपना काम करती रही 


और धरती से निकले हुए कर्ण कई हजार साल तक इकट्ठा कर धरती के इर्द-गिर्द एक चक्कर बना दिया ।

इस चक्कर से एक गेंद बनी 

जिसे हम चांद कहते हैं 

आज से करीब 3.9 अरब साल पहले 

इस समय धरती पर आग के गोलों की बारिश हो रही थी ।

इसके अलावा इस ग्रह पर उल्का पिंड की भी बारिश हो रही थी । 

प्रतिदिन कई हजारों की संख्या में उल्का पिंड धरती पर बरस रहे थे।

यह उल्कापिंड अपने साथ बहुत ही खास लेकर आ रहे थे।

 इनके अंदर बर्फ के जमे हुए क्रिस्टल थे 
 
जिसके कारण ही हमारे धरती पर समुद्र का निर्माण हो सका 

और साथ ही यह उल्कापिंड धरती के वातावरण में nitrogen लेकर आए

 लेकिन अभी भी यहां पर जीवन के लिए उपयुक्त परिस्थितियाँ नहीं थी ।
 
पूरा वातावरण ज़हरीले गैसों से भरा पडा हुआ था।

लेकिन अभी परिस्थितियां बदलने वाली थी ।

आज से करीब 3.8 अरब साल पहले

 धरती पर पानी भी पहुंच चुका था 
 
और ज्वालामुखी फूट फूटकर छोटे-छोटे द्वीप बना रहे थे ।

उलकाओ की बारिश अभी भी रुकी नहीं थी ।

पानी के अलावा यह उल्का और भी कुछ ला रहे थे 

कुछ ऐसे खनिज पदार्थ जो जीवन की उत्पत्ति करने वाले थे ।

 यह खनिज पदार्थ थे कार्बन और अमीनो एसिड ।
 
 यह उल्का पानी में 3000 मीटर नीचे जाते गए 
 
जहां सूर्य की किरणें पहुंच नहीं पाती थी 

धीरे-धीरे यह उल्कापिंड ठंडे हो कर जमने लगे 

इन्होंने एक चिमनी का आकार लेना शुरू कर दिया ।
 
ज्वालामुखी में पड़ी दरारों में पानी जाने से 

धुंआ इन चीजों से निकलने लगा 

और पानी एक केमिकल सूप बन गया।

इसी पानी में केमिकल के बीच ऐसा रिएक्शन शुरू हुआ 

जिससे माइक्रोस्कोपिक जीवन का प्रारंभ हुआ 

यह थे सिंगल सेल बैक्टीरिया।

आज से करीब 3.5 अरब साल पहले 

यह वह समय था जब समुद्र की निचली सतह पर 

चट्टानों जैसे बड़े पत्ते उग रहे थे ।

इन्होंने एक कॉलोनी बना ली थी 

और इन पर जीवित बैक्टीरिया थे ।

इन पत्तों को स्ट्रोमैटोलाइट्स कहा जाता है ।

यह बैक्टीरिया सूर्य की रोशनी से अपना भोजन बनाते थे 

जिसे प्रकाश संश्लेषण(Photosynthesis) की प्रक्रिया कहते हैं ।

 जिसमें यह सूर्य की किरणों से 
 
कार्बन डाइऑक्साइड और पानी को ग्लूकोस में बदल देता है ।
 
इसके साथ ही यह बायप्रोडक्ट छोड़ती है 

जो कि ऑक्सीजन गैस होती है ।

 समय के साथ-साथ सारा सागर oxygen से भर गया 
 
लहरो के ऊपर ऑक्सीजन वायुमंडल में प्रवेश कर चुकी थी 

यही वह गैस हैं 

जिसके बिना धरती पर जीवन असंभव है ।
 
2 अरब साल तक ऑक्सीजन गैस का स्तर बढ़ता रहा 

धरती के घूमने का समय भी कम होता जा रहा था ।

अब दिन बड़े होने लगे थे 

1.5 अरब साल पहले दिन 16 घंटे के होने लगे थे ।

कई अरबो सालो बाद

 सागर के नीचे दबी धरती की ऊपरी सतह कई बड़े प्लेटों में बट गई ।

धरती के नीचे फैले लावा ने ऊपरी सतह को गतिमान कर दिया ।

इस गति के कारण सारी प्लेट आपस में जुड़ गई 


और विशाल द्वीप तैयार हुआ 

जिससे धरती का पहला सुपरकॉन्टिनेंट तैयार हुआ ।

जिसका नाम था रोडिनिया ।

अब धरती का तापमान घटकर 30 डिग्री सेल्सियस हो चुका था ।

दिन बढ़ कर 18 घंटे हो चुके थे ।

आज से करीब 75 करोड साल पहले 

धरती के अंदर से एक ऐसी शक्ति निकली 

जिसने धरती की सतह को दो टुकड़ों में बाट दिया ।

यह शक्ती थी ताप, 

जो कि धरती के नीचे पिघले हुए लावा से पैदा हुई थी ।

जिसके कारण धरती की ऊपरी सतह कमजोर पड़ती गई 

और धीरे-धीरे दोनों सतह एक दूसरे से दूर होते चले गए  

जिससे 2 महाद्वीप बने साइबेरिया और गोंडवाना ।

अब धरती के नीचे का लावा 

ज्वालामुखी विस्फोट के साथ धरती की सतह पर निकलने लगा ।

इन विस्फोट के कारण 

धरती पर कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा काफी अधिक बढ़ गई ।

अब धरती का आसमान इन कार्बन डाइऑक्साइड के घने बादलों से घिर चुका था।

 इन बादलों से लगातार अम्लीय वर्षा 
 
यानी कि Acid Rain होने लगी 

इससे धरती के चट्टानों में कार्बन के मोटे-मोटे परत जमने लगे ।
 
जो कि, इस बारिश के पानी के साथ बरस रहे थे ।

 इससे वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा में काफी कमी आई 
 
और अब धरती का तापमान काफी तेजी से कम होने लगा 

और धरती पर Ice-Age की शुरुआत हो गई ।

यह Ice-Age अब तक का सबसे लंबा Ice-Age था ।

समय के साथ-साथ वायुमंडल में फिर से कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ने लगी 

और फिर से पृथ्वी का तापमान बढ़ गया 

और जमा बर्फ पिघलने लगा ।


आज से करीब 54 करोड़ साल पहले 

अब धरती का बर्फ पूरी तरह से पिघल चुका था ।

इस वक्त समुद्र के अंदर नए-नए जीव आ चुके थे ।

 ऑक्सीजन की उपलब्धता में 
 
अब यह एक कोशिकीय जीव कई सारे जीव में विकसित हो चुके थे 

जो Ice-Age जाने से पहले समुद्र में थे ।
 
चारों तरफ समुद्री पौधे 

और ऐसे अजीब से छोटे-छोटे समुद्री जीव थे 

साथ हि यह दत्यकार समुद्री दानव भी थे ।

जो कि एक कोशिकीय सूक्ष्म जीव से विकसित हुए थे ।

यह 5 सेंटीमीटर लंबे जीव 

अपने शरीर में बेहद ही खास तरह की चीज विकसित कर लिए थे 

जो कि आगे चलकर हमारे शरीर के आवश्यक अंग बने ।

यह जीव थे पिकाया 

जो कि अपने शरीर में रीड की हड्डी को विकसित कर लिए थे 

और जो आगे चलकर हमें मिले।

 आज से करीब 46 करोड़ साल पहले 
 
अब धरती कि रुप रेखा कुच हद तक सुधर चुकी थी।
 
धरती का सुपरकॉन्टिनेंट और भी कई भागों में टूट गया था।

 लेकिन इस धरती पर अब भी रहने वाले जीव नहीं आए थे 
 
साथ हि पेड़ पौधे भी नहीं आए थे ।
 
दरअसल ऐसा सूरज से आने वाली अल्ट्रावायलेट किरणों के कारण हो रही थी।

 समय के साथ-साथ वायुमंडल में एक और चीज का निर्माण हुआ ।
 
यह था ओजोन परत, 

जो कि सूरज से आने वाली खतरनाक किरणों को रोकने लगा ।

अब समुद्र की मछली, 'टिकटालीक'

 यह समुद्र से बाहर आने लगे 
 
और समय के साथ-साथ यह मछली जमीन में ज्यादा समय के लिए रहने लगे 

जिससे हुआ यह कि 

यह अपने अंग को विकसित करते चले गए ।

करीब डेढ़ करोड़ साल के विकास क्रम के बाद 

यह जीव पूरी तरह से जमीन पर रहने लगे 

अब यह जीव आगे चलकर डायनासोर, birds, mammals और अंत में इंसानों में विकसित होने वाले थे ।

दोस्तों इस प्रकार हुई हमारे पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत 

जिसमें करोड़ों साल लग गए ।

Man had to travel billions of years to develop himself.

During these years, many creatures went extinct on Earth and many more came.

But where did all this come from? And where did life come from on this earth? To get an answer to this question, we have to go back billions of years in time when this earth was in its initial phase and life was beginning to originate here.

History of Earth in Hindi & Origin of Earth in Hindi

About four and a half billion years ago, there was a very strong explosion in space by the mixing of many gases.

This explosion created a very large fireball that we know as the Sun.

Due to this explosion, dust particles spread around it.

Due to the power of gravity, these dust particles turned into small stone pieces.

 Gradually, these pieces also collided with each other due to the power of gravity and started connecting with each other.
 
This process went on for many years and took the form of a planet where we all live today.

But there was no sign of life here yet.

 Due to the collision of rocks, the earth was getting ready as a fireball.
 
At this time the Earth's temperature was 1200 degrees Celsius.

At the same time a new planet, named Thea, was moving towards the Earth.

Its speed was 40 kilometers per second.

When it hit the surface of the Earth, there was a huge explosion that caused several trillion rubbish to come out of the Earth and it went out of the Home Earth and the planet merged into the Earth.



Gravity continued its work for several thousand years and Karna, which came out of the earth, gathered for several thousand years and made a circle around the earth.

From this circle, a ball was formed which we call the moon, about 3.9 billion years ago, at this time it was raining fire on the earth.

Apart from this, meteor bodies were also raining on this planet.

Everyday thousands of meteor bodies were roaming the earth.
These meteorites were bringing with them something very special.

 There were frozen ice crystals inside them, due to which the sea could be formed on our earth and at the same time these meteorites brought nitrogen in the earth's atmosphere but still did not have suitable conditions for life here.
 
The entire atmosphere was filled with poisonous gases.

But circumstances were about to change.

About 3.8 billion years ago, water had reached the earth and volcanoes were bursting into small islands.

Ulkao's rain still did not stop.

Apart from water, this meteorite was bringing some more minerals which were the origin of life.

 These minerals were carbon and amino acids.
 
 These meteors went down 3000 meters in the water where the rays of the sun could not reach, slowly these meteorites started to cool down and started taking the shape of a chimney.
 
Smoke started coming out of these things due to water entering the cracks lying in the volcano and the water became a chemical soup.

How Life Started on Earth & Origin of Life on Earth

It was in this water that such a reaction started between the chemicals that started microscopic life. These were single cell bacteria.

About 3.5 billion years ago, this was the time when large leaves like rocks were growing on the lower surface of the sea.

They had formed a colony and had living bacteria.

These leaves are called stromatolites.

These bacteria used to make their food from sunlight, which is called photosynthesis process.

 In which it converts carbon dioxide and water into glucose from the sun's rays.
 
Along with this it leaves the byproduct which is oxygen gas.

 Over time, the entire ocean filled with oxygen, oxygen had entered the atmosphere over the waves. These are the gas without which life on earth is impossible.
 
Oxygen gas levels kept rising for 2 billion years, the time of rotation of the earth was also getting shorter.

Now days were getting bigger, 1.5 billion years ago, the days were getting 16 hours.

After several years, the upper surface of the earth buried under the ocean was divided into several large plates.

The lava spreading below the earth triggered the upper surface.

Due to this motion, the whole plate was joined together and a huge island was created, which created the first super continent of the earth.

Which was named Rodinia.

Now the temperature of the earth had come down to 30 degree Celsius.

The days had increased to 18 hours.

About 75 crores years ago, a force came out from inside the earth which divided the surface of the earth into two pieces.

This power was heat, which originated from the molten lava beneath the earth.

Due to which the upper surface of the earth weakened and gradually the two surfaces moved away from each other, making 2 continents Siberia and Gondwanaland.

Now the lava under the earth started coming out on the surface of the Earth with a volcanic eruption.

These explosions greatly increased the amount of carbon dioxide on Earth.

Now the sky of the earth was surrounded by thick clouds of these carbon dioxide.

 Due to continuous acid rain from these clouds, that is, acid rain started, due to this, thick layers of carbon began to accumulate in the rocks of the earth.
 
Which, it was raining with this rain water.

 This significantly reduced the amount of carbon dioxide in the atmosphere and now the temperature of the Earth started decreasing quite rapidly and the Ice-Age started on Earth.

This Ice-Age was the longest Ice-Age ever.Over time, the amount of carbon dioxide in the atmosphere again began to rise and again the temperature of the Earth increased and the accumulated ice began to melt.


Some 54 years ago, now the Earth's ice had completely melted.

At this time, new creatures had arrived inside the sea.

 In the availability of oxygen, this single-celled organism had evolved into many organisms that were in the sea before going to Ice-Age.
 
There were sea plants all around and such strange little sea creatures, along with these giant sea monsters.

That evolved from a unicellular microbe.

These 5 cm long creatures had developed a very special kind of thing in their body, which later became an essential part of our body.

These were the organisms that developed the reed bone in their body and which we later met.

 About 46 million years ago, the shape of the earth had improved to some extent now.
 
The supercontinent of the earth was broken into many more parts.

 But the creatures still living on this earth did not come as well as trees and plants.
 
Actually this was due to ultraviolet rays coming from the sun.

 Over time, another thing formed in the atmosphere.
 
This was the ozone layer, which started to prevent dangerous rays from the sun.

Now the sea fish, 'Tiktaaliq', they started coming out of the sea and over time this fish started living in the ground for a long time, due to which it kept developing its organ.

After about 1.5 million years of development, these organisms started living completely on the ground, now these creatures were going to develop into dinosaurs, birds, mammals and finally humans.

Friends, this is how life started on our earth which took millions of years.

Sunday, 2 August 2020

August 02, 2020

Blood Eagle Punishment in Hindi | Janiye Kya Hai Blood Eagle ki Saza

वाइकिंग जैसे नाम से हम सभी वाकिफ हैं | ये इतने खूंखार हुआ करते थे कि इनके बस नाम से ही लोगों की रूह कांप जाती थी | वाइकिंग्स बहुत खतरनाक हुआ करते थे और अक्सर जगह-जगह जाकर शहरों में धावा बोला करते थे | लोगो के धन-दौलत संपत्ति पूरी तरह से लूट लिया करते थे कभी-कभी महिलाओं और बच्चों को भी उठाकर ले जाते थे | बाइकिंग की मौजूदगी यूरोप में आठवीं शताब्दी के अन्त से लेकर 11वीं शताब्दी तक थी l 



यह यूरोप स्कैंडिनेविया में मौजूद थे लेकिन समय के साथ-साथ इन्होनें अपना विस्तार किया और पूरे यूरोप में डर का माहौल बनाकर रखा l यह सब लूटपाट और बेरहमी से लोगों की हत्या के लिए प्रचलित थे । यह इतने खतरनाक थे कि उनके सामने जो भी आता उन्हे तुरंत खत्म कर देते और यह किसी भी गलती के लिए भयानक सजा दिया करते जिनमें से एक था Blood Eagle । इस सज़ा का ज़िक्र सबसे पहले सन 1867 में सुनने को मिलता है l 

बात उस समय की है जब Vikings ने इंग्लैंड में हमला कर दिया था तब वहां के राजा king Aelle ने Vikings के  उस समय के राजा राग्नार लूथब्रोक को बंदी बना कर एक गढ़े में फेंक दिया था | उस गढ़े में बहुत से जहरीले सांप थे और उन साँपों के ज़हर की वजह से रेग्नार की मृत्यु हो गई l 


वाइकिंग बदला लेने के मामले में भी बहुत आगे थे और ठीक रेग्नार के बेटे Ivar The Boneless ने अपने पिता की मृत्यु का बदला लिया l Ivar ने king Aelle को बंदी बनाने के बाद सीधे मौत की सजा नहीं सुनाई इस बार वह कुछ अलग करना चाहता था और उसने king Aelle को Blood Eagle की सज़ा सुनाई l 

इस सज़ा को लेकर अनेक इतिहासकार अलग-अलग राय रखते हैं और बहुत से इतिहासकार ऐसा मानते थे कि ऐसी सजा कभी किसी को नहीं दी गई थी क्योंकि यह बहुत खौफ़नाक सज़ा थी की सजा देने वालों की भी रूह काप  जाती थी l सज़ा मिलने वालों का क्या हाल होता होगा हम बस इस बात का अंदाजा ही लगा सकते हैं 


दोस्तों, Blood Eagle की सजा में इंसान को कसकर बांध दिया जाता था l ताकि वह थोड़ा सा भी ना हिल सके फिर उसके बाद सजा देने वाला उसके कमर के नीचे से ऊपर कंधे तक काटता था | फिर एक-एक कर पिंजर की हड्डियों को रीड की हड्डी से कुल्हाड़ी की मदद से अलग करता था l ऐसा करने के बाद सजा पाने वाला व्यक्ति जिंदा तो रहता था लेकिन उसके शरीर के अंदरूनी अंग साफ-साफ दिखाई देते थे l दर्दनाक यातना के बाद जब सजा पाने वाला व्यक्ति बेहोशी की हालत में पहुंचता था तब उसके घावों में नमक डाल दिया जाता था l नमक की जलन से सजा पाने वाला व्यक्ति वापस से होश में आ जाता था | उसके बाद पीछे से उसके फेफड़े के हिस्से को बाहर निकला जाता और वह देखने में एक पंछी की तरह दिखाई पड़ता था l अंत में सजा पाने वाले इस व्यक्ति को टांग दिया जाता था और उसके मरने तक उसे उसी अवस्था में छोड़ दिया जाता था l 


ऐसी सजा के बारे में सुनकर लोग काँप उठते थे । ऐसी सजा उन लोगों को दी जाती थी जो धोखेबाज होते थे और जिनमें दया नहीं होती थी l इस तरह से Ivar ने अपने पिता की मौत का बदला तो लिया ही इसी के साथ-साथ लोग Ivar के नाम से खौफ खाने लगे और उसके आने की खबर से ही अपनी बस्ती छोड़कर भाग जाते थे l

Friday, 31 July 2020

July 31, 2020

Kalpana Chawla Biography | Why Kalpana's Space Shuttle Crashed? What Happened to Kalpana Chawla in Space

India's first woman Kalpana Chawla explored space and she died in 1 February 2003, when she was returning from space. 

Kalpana Chawla always said that she is made for space. Always spent her time for space and she will die for it.

And it was true. At the age of 41 she explored space for 2nd time. When she was returning from space, She died in a tragedy.

It becomes interesting to know about that space tragedy.

Kalpana completed her 1st space journey in STS 87 COLUMBIA SPACE SHUTTLE. And the duration was from 19 November 1977 to 5 December 1997.

In her 1st space exploration she spend 372 hour in space and completed 252 rounds of Earth.

In 2003, she went in space for her 2nd space exploration. It was 113th mission of Columbia Space Shuttle STS-107. STS-107 launced from Earth in 16 January 2003.

1 February 2003 was the date of her return from space. Every news channels was showing about her return from space. It was the biggest news of that day.

STS -107 was moving toward the Earth. But, just before 16 minutes of landing. Space Shuttle blasted into peaces. Kalpana died in that tragedy. Other 6 astronauts from her crew were also died in that tragedy. They performed 80 experiments in space.

After this tragedy NASA inspected about that incident. In this inspection they found that in the day of launch, one part of foam insulation of outer tank was broken . 

Saturday, 9 November 2019

November 09, 2019

आखिर फोन पर सबसे पहले क्यों बोलते हैं हेलो? || why do you first say hello on the phone?

आखिर फोन पर सबसे पहले क्यों बोलते हैं हेलो? || why do you first say hello on the phone?


जब हम लोग फोन या मोबाइल पर बात करते हैं, तो हमारा पहला शब्द होता है हैलो। हम बचपन से ही इस शब्द को सुनते आ रहे हैं, यहां तक कि हमसे पहले की पीढ़ियां भी हेलो शब्द का इस्तेमाल करती हैं,दोस्तों इस वीडियो मे फोन पर हेलो बोलने की शुरुआत कब और कैसे हुई बताई गई है |



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November 09, 2019

Harley Davidson Success Story in Hindi| History |Motorcycle Manufacturer | Street 750

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