मनुष्य को खुद को विकास करने में अरबों साल का सफर तय करना पड़ा।
इन अरबो सालों के दौरान धरती पर कई सारे जीव विलुप्त हुए
और कई सारे जीव आए ।
लेकिन यह सब आए कहां से?
और इस धरती पर जीवन आया कहां से?
इस सवाल का जवाब पाने के लिए हमें समय में अरबों साल पीछे जाना
होगा तब जब यह पृथ्वी अपने शुरुआती दौर पर थी
और यहां पर जीवन की उत्पत्ति शुरू हो रही थी।
आज से करीब साढे चार अरब साल पहले
अंतरिक्ष में कई गैसों के मिश्रण से एक बहुत ही जोरदार धमाका हुआ।
इस धमाके से एक बहुत ही बड़ा आग का गोला बना
जिसे हम सूर्य के नाम से जानते हैं ।
इस धमाके के कारण इसके चारों ओर धूल के कण फैल गए ।
गुरुत्वाकर्षण की शक्ति के कारण
यह धूल के कण छोटे छोटे पत्थर के टुकड़ों में बदल गए ।
धीरे-धीरे यह टुकडे भी
गुरुत्वाकर्षण की शक्ती के कारण आपस में टकरा कर एक दूसरे के साथ जुड़ने लगे ।
कई सालों तक यह प्रक्रिया चलती रही
और जिसने एक ग्रह का रूप ले लिया
जहां आज हम सब रहते हैं ।
लेकिन यहां अभी जीवन का कोई नामोनिशान नहीं था।
चट्टानों के आपस में टकराने के कारण
धरती एक आग के गोले के रूप में तैयार हो रही थी ।
इस समय धरती का तापमान 1200 डिग्री सेल्सियस था।
उसी समय एक नया ग्रह
जिसका नाम थिया, धरती की तरफ बढ़ रहा था ।
इसकी गति 40 किलोमीटर प्रति सेकंड थी ।
जब यह धरती की सतह से टकराया
तो एक बहुत बड़ा धमाका हुआ
जिससे कई ट्रिलियन कचरा धरती से बाहर निकल गया
और वह गृह धरती से बाहर निकल गया
और वह ग्रह धरती में विलीन हो गया ।
कई हजार साल तक गुरुत्वाकर्षण अपना काम करती रही
और धरती से निकले हुए कर्ण कई हजार साल तक इकट्ठा कर धरती के इर्द-गिर्द एक चक्कर बना दिया ।
इस चक्कर से एक गेंद बनी
जिसे हम चांद कहते हैं
आज से करीब 3.9 अरब साल पहले
इस समय धरती पर आग के गोलों की बारिश हो रही थी ।
इसके अलावा इस ग्रह पर उल्का पिंड की भी बारिश हो रही थी ।
प्रतिदिन कई हजारों की संख्या में उल्का पिंड धरती पर बरस रहे थे।
यह उल्कापिंड अपने साथ बहुत ही खास लेकर आ रहे थे।
इनके अंदर बर्फ के जमे हुए क्रिस्टल थे
जिसके कारण ही हमारे धरती पर समुद्र का निर्माण हो सका
और साथ ही यह उल्कापिंड धरती के वातावरण में nitrogen लेकर आए
लेकिन अभी भी यहां पर जीवन के लिए उपयुक्त परिस्थितियाँ नहीं थी ।
पूरा वातावरण ज़हरीले गैसों से भरा पडा हुआ था।
लेकिन अभी परिस्थितियां बदलने वाली थी ।
आज से करीब 3.8 अरब साल पहले
धरती पर पानी भी पहुंच चुका था
और ज्वालामुखी फूट फूटकर छोटे-छोटे द्वीप बना रहे थे ।
उलकाओ की बारिश अभी भी रुकी नहीं थी ।
पानी के अलावा यह उल्का और भी कुछ ला रहे थे
कुछ ऐसे खनिज पदार्थ जो जीवन की उत्पत्ति करने वाले थे ।
यह खनिज पदार्थ थे कार्बन और अमीनो एसिड ।
यह उल्का पानी में 3000 मीटर नीचे जाते गए
जहां सूर्य की किरणें पहुंच नहीं पाती थी
धीरे-धीरे यह उल्कापिंड ठंडे हो कर जमने लगे
इन्होंने एक चिमनी का आकार लेना शुरू कर दिया ।
ज्वालामुखी में पड़ी दरारों में पानी जाने से
धुंआ इन चीजों से निकलने लगा
और पानी एक केमिकल सूप बन गया।
इसी पानी में केमिकल के बीच ऐसा रिएक्शन शुरू हुआ
जिससे माइक्रोस्कोपिक जीवन का प्रारंभ हुआ
यह थे सिंगल सेल बैक्टीरिया।
आज से करीब 3.5 अरब साल पहले
यह वह समय था जब समुद्र की निचली सतह पर
चट्टानों जैसे बड़े पत्ते उग रहे थे ।
इन्होंने एक कॉलोनी बना ली थी
और इन पर जीवित बैक्टीरिया थे ।
इन पत्तों को स्ट्रोमैटोलाइट्स कहा जाता है ।
यह बैक्टीरिया सूर्य की रोशनी से अपना भोजन बनाते थे
जिसे प्रकाश संश्लेषण(Photosynthesis) की प्रक्रिया कहते हैं ।
जिसमें यह सूर्य की किरणों से
कार्बन डाइऑक्साइड और पानी को ग्लूकोस में बदल देता है ।
इसके साथ ही यह बायप्रोडक्ट छोड़ती है
जो कि ऑक्सीजन गैस होती है ।
समय के साथ-साथ सारा सागर oxygen से भर गया
लहरो के ऊपर ऑक्सीजन वायुमंडल में प्रवेश कर चुकी थी
यही वह गैस हैं
जिसके बिना धरती पर जीवन असंभव है ।
2 अरब साल तक ऑक्सीजन गैस का स्तर बढ़ता रहा
धरती के घूमने का समय भी कम होता जा रहा था ।
अब दिन बड़े होने लगे थे
1.5 अरब साल पहले दिन 16 घंटे के होने लगे थे ।
कई अरबो सालो बाद
सागर के नीचे दबी धरती की ऊपरी सतह कई बड़े प्लेटों में बट गई ।
धरती के नीचे फैले लावा ने ऊपरी सतह को गतिमान कर दिया ।
इस गति के कारण सारी प्लेट आपस में जुड़ गई
और विशाल द्वीप तैयार हुआ
जिससे धरती का पहला सुपरकॉन्टिनेंट तैयार हुआ ।
जिसका नाम था रोडिनिया ।
अब धरती का तापमान घटकर 30 डिग्री सेल्सियस हो चुका था ।
दिन बढ़ कर 18 घंटे हो चुके थे ।
आज से करीब 75 करोड साल पहले
धरती के अंदर से एक ऐसी शक्ति निकली
जिसने धरती की सतह को दो टुकड़ों में बाट दिया ।
यह शक्ती थी ताप,
जो कि धरती के नीचे पिघले हुए लावा से पैदा हुई थी ।
जिसके कारण धरती की ऊपरी सतह कमजोर पड़ती गई
और धीरे-धीरे दोनों सतह एक दूसरे से दूर होते चले गए
जिससे 2 महाद्वीप बने साइबेरिया और गोंडवाना ।
अब धरती के नीचे का लावा
ज्वालामुखी विस्फोट के साथ धरती की सतह पर निकलने लगा ।
इन विस्फोट के कारण
धरती पर कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा काफी अधिक बढ़ गई ।
अब धरती का आसमान इन कार्बन डाइऑक्साइड के घने बादलों से घिर चुका था।
इन बादलों से लगातार अम्लीय वर्षा
यानी कि Acid Rain होने लगी
इससे धरती के चट्टानों में कार्बन के मोटे-मोटे परत जमने लगे ।
जो कि, इस बारिश के पानी के साथ बरस रहे थे ।
इससे वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा में काफी कमी आई
और अब धरती का तापमान काफी तेजी से कम होने लगा
और धरती पर Ice-Age की शुरुआत हो गई ।
यह Ice-Age अब तक का सबसे लंबा Ice-Age था ।
समय के साथ-साथ वायुमंडल में फिर से कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ने लगी
और फिर से पृथ्वी का तापमान बढ़ गया
और जमा बर्फ पिघलने लगा ।
आज से करीब 54 करोड़ साल पहले
अब धरती का बर्फ पूरी तरह से पिघल चुका था ।
इस वक्त समुद्र के अंदर नए-नए जीव आ चुके थे ।
ऑक्सीजन की उपलब्धता में
अब यह एक कोशिकीय जीव कई सारे जीव में विकसित हो चुके थे
जो Ice-Age जाने से पहले समुद्र में थे ।
चारों तरफ समुद्री पौधे
और ऐसे अजीब से छोटे-छोटे समुद्री जीव थे
साथ हि यह दत्यकार समुद्री दानव भी थे ।
जो कि एक कोशिकीय सूक्ष्म जीव से विकसित हुए थे ।
यह 5 सेंटीमीटर लंबे जीव
अपने शरीर में बेहद ही खास तरह की चीज विकसित कर लिए थे
जो कि आगे चलकर हमारे शरीर के आवश्यक अंग बने ।
यह जीव थे पिकाया
जो कि अपने शरीर में रीड की हड्डी को विकसित कर लिए थे
और जो आगे चलकर हमें मिले।
आज से करीब 46 करोड़ साल पहले
अब धरती कि रुप रेखा कुच हद तक सुधर चुकी थी।
धरती का सुपरकॉन्टिनेंट और भी कई भागों में टूट गया था।
लेकिन इस धरती पर अब भी रहने वाले जीव नहीं आए थे
साथ हि पेड़ पौधे भी नहीं आए थे ।
दरअसल ऐसा सूरज से आने वाली अल्ट्रावायलेट किरणों के कारण हो रही थी।
समय के साथ-साथ वायुमंडल में एक और चीज का निर्माण हुआ ।
यह था ओजोन परत,
जो कि सूरज से आने वाली खतरनाक किरणों को रोकने लगा ।
अब समुद्र की मछली, 'टिकटालीक'
यह समुद्र से बाहर आने लगे
और समय के साथ-साथ यह मछली जमीन में ज्यादा समय के लिए रहने लगे
जिससे हुआ यह कि
यह अपने अंग को विकसित करते चले गए ।
करीब डेढ़ करोड़ साल के विकास क्रम के बाद
यह जीव पूरी तरह से जमीन पर रहने लगे
अब यह जीव आगे चलकर डायनासोर, birds, mammals और अंत में इंसानों में विकसित होने वाले थे ।
दोस्तों इस प्रकार हुई हमारे पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत
जिसमें करोड़ों साल लग गए ।
Man had to travel billions of years to develop himself.
During these years, many creatures went extinct on Earth and many more came.
But where did all this come from? And where did life come from on this earth? To get an answer to this question, we have to go back billions of years in time when this earth was in its initial phase and life was beginning to originate here.
History of Earth in Hindi & Origin of Earth in Hindi
About four and a half billion years ago, there was a very strong explosion in space by the mixing of many gases.
This explosion created a very large fireball that we know as the Sun.
Due to this explosion, dust particles spread around it.
Due to the power of gravity, these dust particles turned into small stone pieces.
Gradually, these pieces also collided with each other due to the power of gravity and started connecting with each other.
This process went on for many years and took the form of a planet where we all live today.
But there was no sign of life here yet.
Due to the collision of rocks, the earth was getting ready as a fireball.
At this time the Earth's temperature was 1200 degrees Celsius.
At the same time a new planet, named Thea, was moving towards the Earth.
Its speed was 40 kilometers per second.
When it hit the surface of the Earth, there was a huge explosion that caused several trillion rubbish to come out of the Earth and it went out of the Home Earth and the planet merged into the Earth.
Gravity continued its work for several thousand years and Karna, which came out of the earth, gathered for several thousand years and made a circle around the earth.
From this circle, a ball was formed which we call the moon, about 3.9 billion years ago, at this time it was raining fire on the earth.
Apart from this, meteor bodies were also raining on this planet.
Everyday thousands of meteor bodies were roaming the earth.
These meteorites were bringing with them something very special.
There were frozen ice crystals inside them, due to which the sea could be formed on our earth and at the same time these meteorites brought nitrogen in the earth's atmosphere but still did not have suitable conditions for life here.
The entire atmosphere was filled with poisonous gases.
But circumstances were about to change.
About 3.8 billion years ago, water had reached the earth and volcanoes were bursting into small islands.
Ulkao's rain still did not stop.
Apart from water, this meteorite was bringing some more minerals which were the origin of life.
These minerals were carbon and amino acids.
These meteors went down 3000 meters in the water where the rays of the sun could not reach, slowly these meteorites started to cool down and started taking the shape of a chimney.
Smoke started coming out of these things due to water entering the cracks lying in the volcano and the water became a chemical soup.
How Life Started on Earth & Origin of Life on Earth
It was in this water that such a reaction started between the chemicals that started microscopic life. These were single cell bacteria.
About 3.5 billion years ago, this was the time when large leaves like rocks were growing on the lower surface of the sea.
They had formed a colony and had living bacteria.
These leaves are called stromatolites.
These bacteria used to make their food from sunlight, which is called photosynthesis process.
In which it converts carbon dioxide and water into glucose from the sun's rays.
Along with this it leaves the byproduct which is oxygen gas.
Over time, the entire ocean filled with oxygen, oxygen had entered the atmosphere over the waves. These are the gas without which life on earth is impossible.
Oxygen gas levels kept rising for 2 billion years, the time of rotation of the earth was also getting shorter.
Now days were getting bigger, 1.5 billion years ago, the days were getting 16 hours.
After several years, the upper surface of the earth buried under the ocean was divided into several large plates.
The lava spreading below the earth triggered the upper surface.
Due to this motion, the whole plate was joined together and a huge island was created, which created the first super continent of the earth.
Which was named Rodinia.
Now the temperature of the earth had come down to 30 degree Celsius.
The days had increased to 18 hours.
About 75 crores years ago, a force came out from inside the earth which divided the surface of the earth into two pieces.
This power was heat, which originated from the molten lava beneath the earth.
Due to which the upper surface of the earth weakened and gradually the two surfaces moved away from each other, making 2 continents Siberia and Gondwanaland.
Now the lava under the earth started coming out on the surface of the Earth with a volcanic eruption.
These explosions greatly increased the amount of carbon dioxide on Earth.
Now the sky of the earth was surrounded by thick clouds of these carbon dioxide.
Due to continuous acid rain from these clouds, that is, acid rain started, due to this, thick layers of carbon began to accumulate in the rocks of the earth.
Which, it was raining with this rain water.
This significantly reduced the amount of carbon dioxide in the atmosphere and now the temperature of the Earth started decreasing quite rapidly and the Ice-Age started on Earth.
This Ice-Age was the longest Ice-Age ever.Over time, the amount of carbon dioxide in the atmosphere again began to rise and again the temperature of the Earth increased and the accumulated ice began to melt.
Some 54 years ago, now the Earth's ice had completely melted.
At this time, new creatures had arrived inside the sea.
In the availability of oxygen, this single-celled organism had evolved into many organisms that were in the sea before going to Ice-Age.
There were sea plants all around and such strange little sea creatures, along with these giant sea monsters.
That evolved from a unicellular microbe.
These 5 cm long creatures had developed a very special kind of thing in their body, which later became an essential part of our body.
These were the organisms that developed the reed bone in their body and which we later met.
About 46 million years ago, the shape of the earth had improved to some extent now.
The supercontinent of the earth was broken into many more parts.
But the creatures still living on this earth did not come as well as trees and plants.
Actually this was due to ultraviolet rays coming from the sun.
Over time, another thing formed in the atmosphere.
This was the ozone layer, which started to prevent dangerous rays from the sun.
Now the sea fish, 'Tiktaaliq', they started coming out of the sea and over time this fish started living in the ground for a long time, due to which it kept developing its organ.
After about 1.5 million years of development, these organisms started living completely on the ground, now these creatures were going to develop into dinosaurs, birds, mammals and finally humans.
Friends, this is how life started on our earth which took millions of years.
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