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Sunday 2 August 2020

Blood Eagle Punishment in Hindi | Janiye Kya Hai Blood Eagle ki Saza

वाइकिंग जैसे नाम से हम सभी वाकिफ हैं | ये इतने खूंखार हुआ करते थे कि इनके बस नाम से ही लोगों की रूह कांप जाती थी | वाइकिंग्स बहुत खतरनाक हुआ करते थे और अक्सर जगह-जगह जाकर शहरों में धावा बोला करते थे | लोगो के धन-दौलत संपत्ति पूरी तरह से लूट लिया करते थे कभी-कभी महिलाओं और बच्चों को भी उठाकर ले जाते थे | बाइकिंग की मौजूदगी यूरोप में आठवीं शताब्दी के अन्त से लेकर 11वीं शताब्दी तक थी l 



यह यूरोप स्कैंडिनेविया में मौजूद थे लेकिन समय के साथ-साथ इन्होनें अपना विस्तार किया और पूरे यूरोप में डर का माहौल बनाकर रखा l यह सब लूटपाट और बेरहमी से लोगों की हत्या के लिए प्रचलित थे । यह इतने खतरनाक थे कि उनके सामने जो भी आता उन्हे तुरंत खत्म कर देते और यह किसी भी गलती के लिए भयानक सजा दिया करते जिनमें से एक था Blood Eagle । इस सज़ा का ज़िक्र सबसे पहले सन 1867 में सुनने को मिलता है l 

बात उस समय की है जब Vikings ने इंग्लैंड में हमला कर दिया था तब वहां के राजा king Aelle ने Vikings के  उस समय के राजा राग्नार लूथब्रोक को बंदी बना कर एक गढ़े में फेंक दिया था | उस गढ़े में बहुत से जहरीले सांप थे और उन साँपों के ज़हर की वजह से रेग्नार की मृत्यु हो गई l 


वाइकिंग बदला लेने के मामले में भी बहुत आगे थे और ठीक रेग्नार के बेटे Ivar The Boneless ने अपने पिता की मृत्यु का बदला लिया l Ivar ने king Aelle को बंदी बनाने के बाद सीधे मौत की सजा नहीं सुनाई इस बार वह कुछ अलग करना चाहता था और उसने king Aelle को Blood Eagle की सज़ा सुनाई l 

इस सज़ा को लेकर अनेक इतिहासकार अलग-अलग राय रखते हैं और बहुत से इतिहासकार ऐसा मानते थे कि ऐसी सजा कभी किसी को नहीं दी गई थी क्योंकि यह बहुत खौफ़नाक सज़ा थी की सजा देने वालों की भी रूह काप  जाती थी l सज़ा मिलने वालों का क्या हाल होता होगा हम बस इस बात का अंदाजा ही लगा सकते हैं 


दोस्तों, Blood Eagle की सजा में इंसान को कसकर बांध दिया जाता था l ताकि वह थोड़ा सा भी ना हिल सके फिर उसके बाद सजा देने वाला उसके कमर के नीचे से ऊपर कंधे तक काटता था | फिर एक-एक कर पिंजर की हड्डियों को रीड की हड्डी से कुल्हाड़ी की मदद से अलग करता था l ऐसा करने के बाद सजा पाने वाला व्यक्ति जिंदा तो रहता था लेकिन उसके शरीर के अंदरूनी अंग साफ-साफ दिखाई देते थे l दर्दनाक यातना के बाद जब सजा पाने वाला व्यक्ति बेहोशी की हालत में पहुंचता था तब उसके घावों में नमक डाल दिया जाता था l नमक की जलन से सजा पाने वाला व्यक्ति वापस से होश में आ जाता था | उसके बाद पीछे से उसके फेफड़े के हिस्से को बाहर निकला जाता और वह देखने में एक पंछी की तरह दिखाई पड़ता था l अंत में सजा पाने वाले इस व्यक्ति को टांग दिया जाता था और उसके मरने तक उसे उसी अवस्था में छोड़ दिया जाता था l 


ऐसी सजा के बारे में सुनकर लोग काँप उठते थे । ऐसी सजा उन लोगों को दी जाती थी जो धोखेबाज होते थे और जिनमें दया नहीं होती थी l इस तरह से Ivar ने अपने पिता की मौत का बदला तो लिया ही इसी के साथ-साथ लोग Ivar के नाम से खौफ खाने लगे और उसके आने की खबर से ही अपनी बस्ती छोड़कर भाग जाते थे l

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