भारत के आविष्कार जिन्हें नहीं मिल पायी पहचान || Indian Inventions That could Change The History
दोस्तों भारत को हमेशा से ही एक धार्मिक और रूडीवादी देश माना जाता रहा है | और ऐसा कहा जाता है कि भारत विज्ञानं और तकनीक के छेत्र मे बहुत ही पिछड़ा हुआ देश है | लेकिन यह बात बिल्कुल भी सच नहीं है | बगैर भारत के ना तो धर्म और अध्यात्म की कल्पना की जा सकती है और नाही विज्ञान की |
दोस्तों भारत के ऋषिमुनियो और विज्ञानिको ने कुछ ऐसे अविष्कार किये और सिद्धांत गड़े जिसके बल पर आज की आधुनिक विज्ञान और दुनिया का चेहरा बदल गया | आज हम इसी पोस्ट के जरिए आविसवासनिय अविष्कारो के बारे मे बताएंगे जिसके बारे मे सयाद ही अपने कभी सोचा होगा | यदि ये अविष्कार नहीं होते तो सायद आज दुनिया इतनी तेजी से आगे नहीं बढ़ पाती तो आइए जानते है कौन से है ये अविष्कार |
1.प्लास्टिक सर्जरी
प्लास्टिक सर्जरी के अविष्कार से दुनिया के स्वास्थ्य और चिकित्सा के छेत्र मे क्रांतिकारी बदलाव आए | बहुत से लोगो के अनुसार प्लास्टिक सर्जरी आधुनिक विज्ञापन की देन है | लेकिन प्लास्टिक सर्जरी और इसके जैसे कई चिकित्सा के छेत्र मे होने वाली तकनीक को आज से हजारों साल पहले ही भारत के ज्ञानियों ने खोज लिया था |
भारत के महान ऋषि सुषरूत को शैलय चिकित्सा का जनक माना जाता है | उन्होंने आज से लगभग 3000 साल पहले ही चिकित्सा के छेत्र मे काफी सफलता प्राप्त कर ली थी | और शैलय चिकित्सा यानि प्लास्टिक सर्जरी मे महारत हासिल कर चुके थे | युद्ध मे जो सैनिक घायल हो जाते थे | और जिन सैनिको के अंग भंग हो जाते थे | उनका इलाज करने की जिम्मेदारी महान ऋषि सुषरूत को ही दी जाती थी |
महान ऋषि सुषरूत ने हजार ईसा पूर्व अपने समय के स्वास्थ्य विज्ञानिको के साथ मिलकर मोतियाबिन, प्रसव, नकली अंग लगाना, पतरी के इलाज, और प्लास्टिक सर्जरी जैसे कई तरह के मुश्किल चिकित्सा के छेत्र मे सिद्धांतो का निर्माण किया था |
2.विमान
इतिहास की किताबों और स्कूल के कोर्स मे हमें पढ़ाया जाता है | कि विमान यानि उड़ने वाले जहाज का अविष्कार राइट ब्रदर्स ने किया था | लेकिन अगर हम आपको कहे कि ये बात सच नहीं है | तो आप विश्वास करेंगे, हा ये कहा जा सकता है आधुनिक विमानो की शुरुवात राइट ब्रदर्स ने सन 1903 मे की थी |
लेकिन हजारों वर्ष पहले ऋषि भ्रादवाज ने अपने विमान शास्त्र मे हवाई जहाज बनाने की तकनीको को विस्तार से बताया है | इस शास्त्र मे गोदा एक ऐसा विमान था, जो अदरीश्य हो सकता था | जो की दूसरे के विमान को खराब कर सकता था | और वही प्रलय एक प्रकार की विद्युत ऊर्जा का शस्त्र था, जिससे विमान चालक भयानक बड़ी तबाही मचा सकता था |
स्कंद पुरान मे भी मे भी इसके कई सबूत मिलते है | जिसमे ऋषि करदम ने अपनी पत्नी के लिए एक विमान की रचना की थी | जिसके द्वारा कही भी आया जाया सकता था | आपको रामायण की यह बात जान कर बेहद हैरानी होगी कि रामायण काल मे रावण के पास अपने कई जहाज थे | और जहाजो का प्रयोग रामायण काल से ही होता आ रहा है | जिसमे पुष्पक विमान का उल्लेख मिलता है | जिसमे बैठ कर रावण सीता जी को हरन करके लंका ले गया था |
श्रीलंका की श्री रामायण रिसर्च कमेटी की रिसर्च के अनुसार रावण के चार हवाई अड्डे थे | जिनके अवशेष भी मील चुके है | और इस तथ्य को साबित करते है कि आज से हजारों साल पहले लोगो के पास हवाई जहाज बनाने की तकनीक थी | और वो लोग इन विमानो का प्रयोग करना भी जनते थे |
आप मे से बहुत से लोग ऐसे भी होंगे जो इन सब मे विश्वास नहीं रखते होंगे | लेकिन उन लोगो को भी ये बात जान कर बेहद हैरानी होंगी कि राइट ब्रदर्स के जहाज के अविष्कार से आठ साल पहले ही एक व्यक्ति शिवकर बापूजी तलपड़े ने जहाज का अविष्कार कर लिया था |
और मुंबई के चौपाटी पर उसका परिक्छड़ भी किया था | जिसके उप्पर एक मूवी भी बन चुकी है | शिवकर बापूजी ने जहाज का निर्माण ऋषि भ्रादवाज के विमान शास्त्रों के सिद्धांतो के आधार पर ही किया था |
3.पाहिए का अविष्कार
आज के करीब 5000 वर्ष पूर्व महाभारत का युद्ध हुआ था | जिसमे रथो के उपयोग का वर्णन है | जरा सोचिए पाहिए नहीं होते तो क्या रथ चल पाता इससे सिद्ध होता है कि पाहिए का अविष्कार 5000 वर्ष पूर्व हुए थे | पहिए का अविष्कार मानव विज्ञान के इतिहास मे बेहद ही महत्वपुर्ड माना जाता है | पाहिए के अविष्कार के बाद ही साईकल से कार तक का सफर पुरा हुआ |
खोजकर्तो का मानना है कि पहिए का अविष्कार इराक मे हुआ था | हालांकि रामायण और महाभारत काल से पहले ही पहिए का चलन भारत मे हो चूका था | और रथो मे पहियो का प्रयोग किया जाता था |
विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता सिंधु घाटी के अवशेषो से प्राप्त खिलौना हाथी गाड़ी भारत के राष्ट्रीय संघ्रालय मे प्रमाण सवरूप रखी है | सिर्फ ये हाथी गाड़ी ही प्रमाणित करती है, कि विश्व मे पहिए का निर्माण इराक मे नहीं बल्कि भारत मे हुआ था |
4.रेडिओ
इतिहास के किताब मे बताया जाता है कि रेडिओ का अविष्कार गुग्लिल्मो मार्कोनी ने किया था | लेकिन ये सरासर गलत है | अंग्रेज काल मे गुग्लिल्मो मार्कोनी को भारतीय वैज्ञानिक आचार्य सर जगदीश चंद्र बोस के एक लाल डायरी मिले जिसमे रेडिओ के सिद्धांत के बारे मे आचार्य सर जगदीश चंद्र बोस एक नोट तैयार किया था | जिसके आधार पर गुग्लिल्मो मार्कोनी ने रेडिओ का अविष्कार किया था |
गुग्लिल्मो मार्कोनी को 1909 मे वायर लेस टेलीग्राफि के लिए नॉवेल पुरस्कार मिला था | लेकिन संचार के लिए रेडिओ तरंगो का पहला सार्वजनिक प्रदरसन आचार्य सर जगदीश चंद्र बोस ने 1895 मे किया था |
इसके 2 साल बाद ही गुग्लिल्मो मार्कोनी ने प्रदर्शन किया और सारा श्रे गुग्लिल्मो मार्कोनी ले गए |
भारत उस समय एक गुलाम देश था | इसलिए आचार्य सर जगदीश चंद्र बोस को ज्यादा महत्व नहीं दिया गया दूसरी ओर वे अपने अविष्कार को पेटेंट कराने मे असफल रहे थे | जिसके चलते गुग्लिल्मो मार्कोनी को रेडिओ का अविष्कारक माना जाने लगा |
संचार की दुनिया मे रेडिओ का अविष्कार सबसे बड़ी सफलता थी | आज इसके अविष्कार के बाद ही टेलीविशन और मोबाइल की क्रांति संभव हो पाई है |
दोस्तों उम्मीद करता हु आपको मेरा यह पोस्ट अच्छा लगा होगा अपना बहुमूल्य समय देने के लिए धन्यवाद...............
इतिहास के किताब मे बताया जाता है कि रेडिओ का अविष्कार गुग्लिल्मो मार्कोनी ने किया था | लेकिन ये सरासर गलत है | अंग्रेज काल मे गुग्लिल्मो मार्कोनी को भारतीय वैज्ञानिक आचार्य सर जगदीश चंद्र बोस के एक लाल डायरी मिले जिसमे रेडिओ के सिद्धांत के बारे मे आचार्य सर जगदीश चंद्र बोस एक नोट तैयार किया था | जिसके आधार पर गुग्लिल्मो मार्कोनी ने रेडिओ का अविष्कार किया था |
गुग्लिल्मो मार्कोनी को 1909 मे वायर लेस टेलीग्राफि के लिए नॉवेल पुरस्कार मिला था | लेकिन संचार के लिए रेडिओ तरंगो का पहला सार्वजनिक प्रदरसन आचार्य सर जगदीश चंद्र बोस ने 1895 मे किया था |
इसके 2 साल बाद ही गुग्लिल्मो मार्कोनी ने प्रदर्शन किया और सारा श्रे गुग्लिल्मो मार्कोनी ले गए |
भारत उस समय एक गुलाम देश था | इसलिए आचार्य सर जगदीश चंद्र बोस को ज्यादा महत्व नहीं दिया गया दूसरी ओर वे अपने अविष्कार को पेटेंट कराने मे असफल रहे थे | जिसके चलते गुग्लिल्मो मार्कोनी को रेडिओ का अविष्कारक माना जाने लगा |
संचार की दुनिया मे रेडिओ का अविष्कार सबसे बड़ी सफलता थी | आज इसके अविष्कार के बाद ही टेलीविशन और मोबाइल की क्रांति संभव हो पाई है |
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