नाथूराम गोडसे ने गांधी जी को क्यों मारा | why nathuram godse killed mahatma gandhi in hindi
भारत मे अकसर लोग ये सोचते है की नाथूराम गोडसे ने महात्मा गाँधी की हत्या इसीलिए की थी | क्यूकी महात्मा गाँधी ने पाकिस्तान को 55 करोड़ रूपये देने के केंद्रीय मंत्री मंडल के फैसले के विरोध मे आमरण अनसन मे बैठ गए थे | यह बात पूरी तरह सत्य नहीं है | नाथूराम गोडसे द्वारा की गई गाँधी की हत्या के पीछे का असल कारण कुछ और था |
बात जनवरी 1948 की है, नाथूराम गोडसे दिल्ली आए थे, वर्ष 1947 मे भारत और पाकिस्तान का बटवारा हो गया था | पाकिस्तान से बड़ी तादाद मे हिन्दू पलायन करके भारत आ रहे थे | पाकिस्तान से आनी वाली ट्रेनों मे हिन्दुओ की लाशें आ रही थी | 22 अक्टूबर 1947 को पाकिस्तान ने कश्मीर पर हमला कर दिया | यही दूसरी ओर पाकिस्तान से लासे और हिन्दू सरनार्थी आने का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा था |
इसी बिच माउंट बेटन न भारत सरकार से पाकिस्तान सरकार 55 करोड़ रूपये देने का परामरस दिया था | पाकिस्तान से हुए हमले और पाकिस्तान से हुए पलायन को देखते हुए केंद्रीय मंत्री मंडल ने उसे टालने का निर्णय लिया लेकिन गाँधी जी उसी समय पाकिस्तान को 55 करोड़ रूपये की राशि देने के लिए आमरण अनसन पर बैठ गए थे | नाथूराम गोडसे जैसे तैसे इस बात को सहन कर गए थे |
गाँधी जी के इस आमरण अनसन के चलते नाथूराम गोडसे के मन मे अभी तक उनकी हत्या का ख्याल नहीं आया था | अभी तक बटवारे हिन्दुओ का कत्ल करना और भारतीय महिलाओ का बलात्कार करना ये सभी चीजों के कारण नाथूराम गोडसे का गुस्सा जिन्ना और मुस्लिमो के प्रति अधिक था, ना की गाँधी जी के प्रति था |
दिल्ली मे नाथूराम गोडसे पाकिस्तान से आने वाले हिन्दू सरनार्थिओ के कैंपो मे घूम घूम कर उनकी सहायता और सेवा मे लगे हुए थे | इसी बिच नाथूराम गोडसे की नजर पुरानी की एक मजीद पर गई यहां पर पुलिस हिन्दू सरनारथिओ को जबरदस्ती बाहर निकाल रही थी | सभी सरनार्थी मंदिर और गुरद्वारा मे सरण लिए हुए थे | तो कुछ पानी से बचने और ठण्ड से बचने के लिए पुरानी मस्जिद मे चले गए थे |
जैसे ही यह बात गाँधी जी को पता चली तो वे वहा पर धरने पर बैठ गए और मस्जिद खाली करने के लिए सरकार पर दबाव डालने लगे | जिस वक़्त पुलिस लोगो को मस्जिद से बाहर निकाल रही थी | उस समय नाथूराम गोडसे भी वहा मौजूद थे | बारिश से भीगे और सर्दी से बेहाल बच्चों को को देख कर नाथूराम गोडसे का मन रोने लगा |
ये सब देख नाथूराम गोडसे ने निर्णय लिया बस बहुत हो गया | अब इस महात्मा को दुनिया को अलविदा कहना होगा | नाथूराम गोडसे का कहना था, कि एक बार देश गाँधी जी की निर्णयो को स्वीकार कर लेता लेकिन जिस तरह गाँधी जी अपनी जिद को पुरा करने के लिए अनसन की अाड मे ब्लैकमेल कर रहे थे | तभी नाथूराम गोडसे ने तय किया हिन्दू और भारत को बचाने के लिए वे गाँधी जी की हत्या करेंगे |
नाथूराम गोडसे हमेशा से गाँधी जी द्वारा की गए स्वंत्रता आंदोलन और भारत को आजादी दिलाने जैसे कार्यों की परसन्सा की है | लेकिन गाँधी द्वारा मुस्लिमो के प्रश्न करने करने के लिए जिस प्रकार एक पक्छईय निर्णय लिए जा रहे थे, उससे नाथूराम गोडसे बिलकुल भी ख़ुश नहीं थे | यही कारण है कि महात्मा गाँधी की हत्या को हत्या ना बताकर नाथूराम गोडसे ने उनका वध की सांध्या दी और इस कार्य की निर्णय इतिहास पर छोड़ दिया |
अगर भविष्य मे इतिहास लिखा जाएगा तो जरुर इस पर नयाय किया जएगा | आखिर कार 30 जनवरी 1948 की शाम को नई दिल्ली मे स्तिथ बिडला भवन मे नाथूराम गोडसे ने गाँधी जी के सामने से उन पर पिस्टल से तीन गोलिया मार कर उनकी हत्या कर दी |
दोस्तों उम्मीद करता हू आपको मेरा यह पोस्ट पसंद आया होगा अपना बहुमूल्य समय देने के लिए धन्यवाद..........
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