भारतवर्ष का एक और प्राचीन अजूबा'कैलाश मंदिर' | KailasaTemple mystery in Hindi
महाराष्ट्र के एलोरा मे कैलाश मंदिर एक आधुनिक टेक्नोलॉजी के लिए एक बड़ा रहस्य है | कई प्राचीन हिन्दू मंदिरो की तरह इस मंदिर मे कई आश्चर्य जनक बाते है,जो हमें हैरान करती है |दोस्तों आईए जानते है हमारी गौरवशाली और अतिविकसित इतिहास के प्रमाण कैलाश मंदिर के बारे मे कुछ रोचक तथ्य |
महाराष्ट्र के एलोरा मे कैलाश मंदिर एक आधुनिक टेक्नोलॉजी के लिए एक बड़ा रहस्य है | कई प्राचीन हिन्दू मंदिरो की तरह इस मंदिर मे कई आश्चर्य जनक बाते है,जो हमें हैरान करती है |दोस्तों आईए जानते है हमारी गौरवशाली और अतिविकसित इतिहास के प्रमाण कैलाश मंदिर के बारे मे कुछ रोचक तथ्य |
किसी मंदिर या भवन को बनाते समय पत्थरो के टुकड़ो को एक के बाद एक जमाते हुए बनाया जाता है | कैलाश मंदिर को बनाने मे एकदम ही अनोखा तरिका अपनाया गया था | ये मंदिर पहाड़ के शीर्ष को ऊपर से निचे की ओर काटते हुए बनाया गया है | जैसे एक मुर्तिकार एक पत्थर को तरासता है | वैसे ही एक पहाड़ को तराश्ते हुए इस मंदिर को बनाया गया था |
पत्थरो को काट काट कर खोकला करके मंदिर,खम्बे,द्वार,नक्कासी इतियदि बनाई गई थी | एक पुरे की पूरी पहाड़ को काट कर इस मंदिर की अद्भूत संरचना मे कितनी योजनाए बनाई गई होंगी | इसके अतिरिक्त बारिश के पानी को संचित करने के का सिस्टम पानी बाहर निकलने के लिए नालिया,मंदिर के स्तंभ और पुल मदिरो पर बनी डिज़ाइन,बारीकी से बनी सीढिया गुप्त अंडर ग्राउंड रास्ते इतियदि सब कुछ पत्थर को काट कर बनाना सामान्य बात नहीं है |
आज के वैज्ञानिक और शोधकर्ता अनुमान लगाते है कि मंदिर बनाने के दौरान करीब 4 लाख टन पत्थर काट कर हटाया गया था | इस हिसाब से 7000 मजदूरों ने 150 वर्षो मे तक काम किया होगा तभी ये मंदिर पूरा बना होगा |
लेकिन बताया जाता है कि कैलाश मंदिर इससे काफ़ी कम समय सिर्फ 17 वर्ष मे ही बनकर तैयार हो गया था | उस काल मे ज़ब बड़ी बड़ी क्रेन जैसी मशीने और कुशल औजार नहीं होते थे | तो इतना सारा पत्थर कैसे काटा होगा और मंदिरो स्थल से कैसे हटाया गया होगा | ये रहस्य दिमाग़ घुमा देता है |
क्या किसी परग्रही तकनीक का उपयोग करके ये मंदिरो बनाया गया था | ये बात कोई नहीं जनता मगर देख के तो ऐसा ही लगता है | माना जाता है कि कैलाश मंदिर राष्ट्र कुल राजा कृष्ण प्रथम ने 756 ईशवी से 773 ईशवी के दौरान बनाया गया था | इसके अतिरिक्त इस मंदिर को बनाने का उद्देश्य बनाने की टेक्नोलॉजी बनाने वाले का नाम जैसी कोई भी जानकारी उपलब्ध नहीं है |
मंदिरो के दिवार पर बने लेख बहुत ही पुराने हो चुके है | और लिखी गई भाषा कोई भी नहीं पड़ पाया है | आज के समय मे ऐसा मंदिर बनाने के लिए सेकड़ो ड्राइंग 3डी सॉफ्टवेयर छोटे मॉडल बनाकर उनकी रिसर्च सैकड़ो इंजीनियर उच्च तकनीक की आवश्यकता होंगी | उस काल मे ये सब कैसे किया गया होगा | ये सोचकर आश्चर्य होता है | सबसे बड़ी बात तो ये है की आज की आधुनिक तकनीक का प्रयोग करके भी सायद ऐसा दूसरा मंदिर नहीं बनाया जा सकता
दोस्तों उम्मीद करता हू आपको मेरा यह पोस्ट पसंद आया होगा अपना बहुमूल्य समय देने के लिए धन्यवाद..........
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