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Friday 12 July 2019

भारतीय तिरंगे का इतिहास || history of indian tricolour || history of indian tricolour in hindi || history in hindi

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तिरंगे का विकास यह जानना अत्यंत ही रोचक है कि हमारे राष्ट्रीय ध्वज ने अपने आरम्भ से ही किन किन परिवर्तनो से गुजरा इसे हमारे स्वतंत्रता के राष्ट्रीय संग्राम के दौरान खोजा गया था | या मान्यता दी गई थी | भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का विकास आज के इस रूप मे पहुंचने के लिए अनेक दौरों मे से गुजरा एक रूप से यह राष्ट्र मे राजनैतिक विकास को दर्शाता है | हमारे राष्ट्रीय ध्वज मे कुछ ऐतिहासिक पड़ाव इस प्रकार है |
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प्रथम राष्ट्रीय ध्वज को कब और कहा फहराया गया था? 
प्रथम राष्ट्रीय ध्वज को 7 अगस्त 1906 को  पारसी बागान चौक ग्रीन पार्क कोलकाता मे फहराया गया था | इस ध्वज को लाल पिले और हरे रंग कि श्रीतीज पट्टीयों से बनाया गया था | हरे पट्टी पर कमल के फूल के निशान थे | पिले पट्टी पर वन्दे मातरम लिखा हुआ था | और लाल पट्टी पर एक आधा चाँद और सूरज का निसान बना हुआ था |

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द्वितीय राष्ट्रीय ध्वज को कब और कहा फहराया गया था? 
द्वितीय राष्ट्रीय ध्वज को मैडम कमा और 1907 मे उनके साथ निर्वासीत किए हुए कुछ क्रन्तिकारीयों द्वारा फहराया गया था | कुछ के अनुसार 1905 मे यह भी पहले ध्वज के समान था | सिवाय इसके कि इसमें सबसे उप्परी पट्टी पर सात तारे थे | जो सप्त ऋषि को दर्शाती है | यह ध्वज बरलीन मे हुए समाज वादी सम्मेलन मे भी प्रदर्शित किया गया था |

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तृतीय राष्ट्रीय ध्वज को कब और कहा फहराया गया था? 
तृतीय राष्ट्रीय ध्वज 1917 मे आया ज़ब हमारे राजनैतिक संघर्ष ने एक निश्चित मोड़ लिया | डॉ. एनि बेसेंट और लोक मान्य तिलक ने घरेलू साशन आंदोलन के दौरान इसे फहराया इस ध्वज मे पांच लाल और चार हरे श्रीतीज पट्टीया एक के बाद एक और सप्त ऋषि को दर्सने के लिए इस पर बने सात तारे थे | और बाई ओर उप्परी किनारे पर यूनियन जैक था | और एक कोने मे साफेद आधा चाँद और तारे भी थे |

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अखिल भारतीय कांग्रेस कमैटी के सत्र के दौरान जो 1921 मे बेजवाडा मे किया गया | यह आंध्रप्रदेश के एक युवक ने एक झंडा बनाया और गाँधी जी को दिया | यह दो रंगों का बना हुआ था | लाल और हरा रंग जो दो प्रमुख समुदाय अर्थात हिन्दू और मुस्लिम का प्रतिनिधितव करता है | गाँधी जी ने सुझाव दिया कि भारत के शेष समुदाय का प्रतिनिधित्व करने के लिए इसमें एक सफ़ेद पट्टी और राष्ट्र के प्रगति का संकेत देने के लिए एक चलता हुआ चरखा होना चाहिए |

वर्ष 1931 ध्वज के इतिहास मे एक यादगार वर्ष है | तिरंगे ध्वज को हमारे राष्ट्रीय ध्वज के रूप मे अपनाने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया गया यह ध्वज जो वर्तमान स्वरूप का पूर्वज है केशरी सफ़ेद हरा और माध्य मे गाँधी जी का चलता हुआ चरखा के साथ यह भी स्पस्ट रूप से बताया गया था | कि इसका कोई सनप्रदानईक महातव नहीं था |

और इसकी व्याख्या इस प्रकार कि जानी थी | 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा ने इसे मुख्य भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के रूप मे अपनाया | स्वतंत्रता मिलने के बाद इसके रंग मे और उसका महत्व बना रहे  केवल ध्वज मे चलते चरखे के स्थान पर सम्राट अशोक के धर्म चक्र को दिखाया गया |

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ध्वज का रंग भारत के राष्ट्रीय ध्वज के उप्परी पट्टी मे केशरीया रंग है | जो देश कि शक्ति और साहस को दर्शाता है | बिच मे स्तिथ सफ़ेद पट्टी धर्म चक्र के साथ शांति और सत्य का प्रतिक है | निचली हरि पट्टी पूर्वता  वृद्धि और भूमि कि पवित्रता को दर्शाता है |

चक्र इस धर्म चक्र को विधि का चक्र कहते है | जो तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व मौर्य सम्राट अशोक द्वारा बनाए गए सारनाथ मंदिर से लिया गया है | इस चक्र को प्रदर्शित करने का आशय यह है कि जीवन गतिशील है | और रुकने का अर्थ है मृत्यु |

दोस्तों उम्मीद करता हू आपको मेरा यह पोस्ट पसंद आया होगा अपना बहुमूल्य समय देने के लिए धन्यवाद..........





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