इसलिए कहा जाता था भारत को सोने कि चिड़िया || indian history in hindi
एक समय था ज़ब सारे देश भारत पर राज करने का सपना देखते थे | क्यूकी तब भारत दुनिया के सबसे अमीर देशों मे से एक था | भारत देश शुरुआत से ही सनपन्न रहा है | और हमारे देश को सोने की चिड़िया कहा जाता था | लेकिन इस सोने की चिड़िया के पँख किसने काटे आज के पोस्ट मे आपको इसी सवाल का जवाब मिलेगा |
भारत शुरुआत से ही क़ृषि प्रधान देश रहा है | और साथ की कपड़े, मसाले, मुर्तिकला और लोहे का एक बड़ा निर्यातक देश रहा है |
भारत मसाले के मामले मे विश्व का सबसे बड़ा देश था | हर देश भारत के साथ व्यापार करना चाहता था | उस दौर मे विदेशी व्यापारी भारत आते थे | और हमारी वस्तुएँ लेकर बदले मे सोना देकर जाते थे | जिसकी वजह से भारत मे सोने की मात्रा काफ़ी ज्यादा बड़ी |
भारत को सोने की चिडया कह कर संबोधने वाले पहले व्यक्ति थे राजा विक्रम आदित्य उन्होंने धर्म की रक्षा के साथ साथ प्रजा की रक्षा और आर्थिक ख्याल रखा |
कहा जाता है की एक वक़्त ऐसा था कि हमारे भारत मे हर घर मे एक लघु ऊद्योग हुआ करता था | इससे बाहरी देशों से हुए व्यापर से हमारे देश के घरो मे इतना सोना हुआ करता था | जितना किसी भी देश के किसी भी घर मे नहीं हुआ करता था |
उद्हारद के तौर पर दक्षिण भारत कि पद्मनाम स्वामी मंदिर कि हम तो वहा के कुल छ: मे से पांच तहखानों मे मिले खजानो कि कुल क़ीमत करीब 2 लाख करोड़ है | जिससे इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि तत्कालीन भारत वासी कितने अमीर थे |
स्कोटीस इतिहासकार मार्टिन लिखते है कि वो भारत देश ही था जिसने दुनिया को कपड़ा बनाना और पहनना सिखाया |
ज़ब इंग्लैंड के निवासी जंगली जीवन बीतते थे | तब भारत मे सबसे बहतरीन कपड़ा बनता था | और दुनिया भर मे बिकता था |
हमारे नालंदा और तकशिला मे दुनिया भर से विद्यार्थी पड़ने आते थे | प्राचीन भारत मे खगोल विज्ञानं भी काफ़ी उन्नत था |
आज सारी दुनिया कॉपरनिक्स को सूर्य और पृथ्वी के बिच का अंतर बताने जा श्रे देती है | लेकिन आज भी ये बात पूरी दुनिया मानती है | हनारे वेदो सहित कई प्राचीन साहित्यो मे अचूक खगोल साश्त्र मे बहुत पहले ही बताया जा चुका है | और कॉपरनिक्ससे सैकड़ो साल पहले ही भारतीय वैज्ञानिक आर्य भट ने पृथ्वी और सूर्य के बिच अंतर बताया था |
अमीर होने के साथ साथ हम भारत वासी धार्मिक प्रवित्ती के थे | और लोगो कि भलाई करने मे विस्वास रखते थे | और घर आए महमान को भगवान समझते थे | लेकिन हमारी यही समझ हमारे कंगाली का कारण बनी हमारी इसी नीति और स्वभाव का फयदा उठाकर इस सोने कि चिड़िया पर बार बार आक्रमण किया और यहां कि दौलत को लूटकर अपने देश ले गए |
मुग़ल काल मे स्थिति और भी खराब हो गई और सोने कि चिड़िया कहा जाने वाला ये देश कंगाल होने लगा | हमारा भारत भौगोलीक़ दृष्टि से परिपूर्ण तो था ही इसीलिए हमें लूटने के साथ साथ लुटेरे यही बस जाते थे | और फिर शुरु करते थे अत्याचार और धर्म परिवर्तन का सिलसिला |
फिर भी अंग्रेजो के आने से पहले तक भारत कि व्यवयसिक स्थिति ठीक थी | लेकिन व्यापार करने के इरादे से आए अंग्रेज भारत आए फिर आगे क्या हुआ हम सबको पता है | अंग्रेजो ने भारत पर कब्जा करके हमारी अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया |
हमारी देश कि एक और नायब चीज थी जिसे अंग्रेज ले गए वो था कोहिनूर हिरा कहा जाता है, कि दुनिया मे हर एक चीज कि क़ीमत होती है लेकिन कोहिनूर हिरा एक ऐसी चीज थी,जिसकी क़ीमत आज तक कोई लगा नहीं पाया | और इस हिरे के मिलिक थे महाराजा दिलीप सिंह |
नेशनल आरक्यूस ऑफ इंडिया के दस्तावेजो के मुताबिक वर्ष 1849 मे ब्रिटिश और सीखो के बिच एक भयंकर लड़ाई हुई थी | जिसके बाद ब्रिटिश गवर्नमेंट लॉर्ड डलहौजी और महाराजा दिलीप सिंह के बिच लाहौर का समझौता हुआ था | जिसमे कोहिनूर हिरा ब्रिटेन कि महारानी को सरेंडर किया गया |
कोहिनूर मिलने के बाद ब्रिटिश गवर्नमेंट लॉर्ड डलहौजी ने कहा था |कोहिनूर सदियों से भारत पर विजय का एतिहासिक प्रतीक रहा है | ऐसी बहुत सारी बाते है जिसे जान कर हमें भारतीय होने पर गर्व होगा लेकिन ये सारी बाते एक पोस्ट मे बताना संभव नहीं होगा |
आज हमारा भारतीय देश संपत्ति के मामले मे भले ही दूसरे देशों से है | लेकिन हमारे भारत कि इस स्वर्ण इतिहास को जानकर हमें गर्व महसूस होना चाहिए |
- दोस्तों उम्मीद करता हु आपको मेरा यह पोस्ट अच्छा लगा होगा अपना बहुमूल्य समय देने के लिए धन्यवाद...............
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