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Saturday, 6 July 2019

Nirma history in hindi || निरमा का इतिहास || निरमा सक्सेस स्टोरी || nirma success story in hindi

Nirma history in hindi || निरमा का इतिहास || निरमा सक्सेस स्टोरी || nirma success story in hindi
Nirma history in hindi, निरमा का इतिहास, निरमा सक्सेस स्टोरी, nirma success story in hindi


अपनी बेटी निरुपमा कि मृत्यु के बाद करसनभाई पटेल ने उसी के घर पर बुलाए जाने वाले नाम निरमा से निरमा वाशिंग पाउडर पावडर शुरुवात करी |

उन्होंने अपने बी.एस.सी और केमिस्ट्री के अनुभव के दम पर अपने घर के पीछे ही वाशिंग पाउडर बनाना सुरु कर दिया था | वो रोज सुबह अपनी साइकिल मे ऑफिस जाते समय घर घर जा कर निरमा को बेचते थे | और ऑफिस खत्म होते ही घर लौटते समय भी बेचते हुए वापस घर आते थे |

करसनभाई ने निरमा को ऐसे ही बेचा और और इस 3  साल मे उन्हें काफी टाइम मील गया अपना कंस्यूमर बेस बनाने मे साथ ही साथ खुद को और अपने प्रोडक्ट को इम्प्रूव करने का |

1969 मे जहा हिंदुस्तान यूनिलिवर का सर्फ़ एक्सेल 13 रूपये मे बिक रहा था | वही निरमा को सिर्फ सड़े तीन रूपये मे बेच कर मिडिल क्लास फैमिली को ख़ुश कर रहे थे | 

फिर 1972 मे उन्होंने अपने जॉब से इस्तीफा दे दी और अहमदाबाद के एक छोटे से इलाके मे दुकान खोल ली और यही से उनके प्रोडक्ट ने लोकल लोगो के बिच तेजी पकड़नी शुरू कर दी |

और जैसे जैसे उनके काम बढ़ते चले गए वे सेल्समेन और वर्कर रखने लगे और इसी तरह से निरमा ने कुछी सालो मे गुजरात मे अपनी अच्छी खासी पकड़ बना ली |

लेकिन ज़ब निरमा को गुजरात के बाहर ज़ब सेल करना शुरू किया तो उन्हें काफ़ी निराश का सामना करना पड़ा ऐसा इसलिए हुआ क्यूकि दूसरे रिटेलर्स निरमा को क्रेडिट मे लिया करते थे | और ज़ब सेल्समेन उस क्रेडिट कि राशि को लेने जाते तो उन्हें भगा दिया जाता था या फिर अगले महीने ले लेना करके टाल दिया जाता था | 

उस समय बड़ी बड़ी इंटरनेशनल कंपनीयों के बिच निरमा टिक भी नहीं कर पा रही थी | और धीरे धीरे निरमा का सेल्स ग्राफ भी निचे गिरने लगा था |

ये सब देख कर करसनभाई ने तुरंत ही अपने कर्मचारीयों के साथ एक मीटिंग बैठाई और सख्त आदेश दे दिए कि जो पेमेंट नहीं करता उनके ऑर्डर रोक दिए जाए या फिर सारे माल वापस ला लिए जाए और आगे कि सप्लाई भी बंद कर दिया जाए | 

रातो रात निरमा मार्केट से गायब हो जाने के बाद सभी रिटेलर्स और कॉम्पीटीटरस को थोड़ा झटका लगा पर करसनभाई के दिमाग़ मे कुछ और ही चल रहा था | 

उस समय हमारा देश बहुत तेजी से बदल रहा था | और लोगो के घरो मे टीवी भी बहुत तेजी से पहुंचते चले जा रहे थे | 

तो जैसे ही उनका स्टॉक मार्केट से वापस आया तो उन्होंने अपना सारा पैसा दूरदर्शन पे विज्ञानं लेने मे लगवा दिए | जिसे अपने कई बार सुना होगा वाशिंग पाउडर निरमा दूध सी सफेदी निरमा से आई रंगीन कपड़े भी खिल खिल जाए सबकी पसंद निरमा | 

इस विज्ञानं ने लोगो के दिमाग़ मे घर कर गया था | और हर किसी के जुबान पर बस निरमा ही था | लोग डेली दुकानों पर निरमा लेने पहुंच जाया करते पर निरमा कही मिलने को ही नहीं था |

जिससे सभी रिटेलर्स परेशान हो गए निरमा एक तो रिटेलर्स को अपना सप्लाई नहीं दे रहे थे | और उप्पर से लोगो के डिमांड भी बढ़ते जा रहे थे | 

 करसनभाई ने फिर से अपनी टीम कि मीटिंग बुलाई और इस बार निरमा कि सप्लाई को जारी रखते हुए उनके हाथ मे टर्म्स और कंडीशन का एक पेपर पकड़ा दिया |

जिसमे यह लिखा  हुआ था कि अबसे कोई भी माल क्रेडिट पर नहीं देंगे सब माल कैश पर दिया जाएगा | इस फैसले ने निरमा के इमेज को रातो रात बदल दी |

और उस समय करसनभाई को टॉप बिज़नेसमैन कि लाइन मे जोड़ दिया और आज निरमा 15000 कर्मचारीयों को काम देती है | 

दोस्तों उम्मीद करता हु आपको मेरा यह पोस्ट अच्छा लगा होगा अपना बहुमूल्य समय देने के लिए धन्यवाद............... 

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